डेंगू बुखार (हड्डी तोड़ बुखार) के बचाव- डा. राजेश कुमार चौधरी - फिजीशियन एण्ड कन्सल्टेंट
बस्ती- अब घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि इसका सुव्यवस्थित इलाज कराने की जरूरत है। यह लाइलाज नहीं, इसका इलाज सही समय पर सम्भव है।
यह एक Acule (नया) Viral बिमारी है। डेंगू मादा एडीज एजिप्टी (Aedes Aegypat) मच्छर के काट लेने पर Arbavixus के डेंगू विषाणु DENI, 2, 3 एवं 4 मनुष्य के रक्त में पहुँच कर रोग उत्पन्न करते हैं। व्यक्ति इन चार प्रकार के डेंगू विषाणुओं से अलग-अलग भी संक्रमित हो सकता है। इन मच्छरों के शरीर पर बाघ (चीते) जैसी धारियाँ होती हैं। यह मच्छर दिन में खासकर सुबह, ठण्डे, छायादार, अंधेरे स्थानों में रहते हैं तथा ये शान्त पानी में ज्यादा प्रजनन और प्रजनन क्षेत्र से 200 मीटर की दूरी के अन्दर, ज्यादा ऊपर तक नहीं उड़ पाते हैं ये मच्छर शरीर के नीचले हिस्सों विशेषकर कमर से पैरों तक ही काटते हैं।
डेंगू बरसात के मौसम या उसके बाद के ठण्ड के महीनों में जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता है। डेंगू मच्छर के काटने के 3 से 5 दिनों बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्ष्ण दिखने लगते हैं। तथा शरीर में बीमारी पनपने की औसतन 3 से 10 दिनों की भी हो सकती है या लक्ष्ण नहीं भी प्रकट हो सकते हैं। यह मरीज की प्रतिरोधक क्षमता के ऊपर भी निर्भर करता है इसे *Danday Fever* या *Break Bone Fever* भी कहा जाता है।
*डेंगू बुखार के प्रकार-* यह मुख्यतः 3 प्रकार का होता है-
1. साधारण (क्लासिकल) डेंगू बुखार (SDF)
2. डेंगू हेमरेजिक बुखार (DHF)
3. डेंगू सांक सिन्ड्रोम (DSS)
इन तीनों प्रकार में से DHF एवं DSS का बुखार सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। यदि रोगी की धड़कन 20 या पल्स रेट 20 बढ़ जाये, और ब्लड प्रेसर सिस्टोलिक और डायस्टोलिक में अन्तर केवल 20 रहे या 20 से कम हो जाय, प्लेटलेट्स 20 हजार से कम हो जाय तथा शरीर पर एक इंच एरिया में 20 से ज्यादा दाने पड़ जाये तो तुरन्त सुविधायुक्त हॉस्पिटल में भर्ती कराना चाहिए।
*1.साधारण डेंगू बुखार के लक्ष्ण-* साधारण डेंगू बुखार अपने आप रोगी की प्रतिरोधक क्षमता के अनुसार ठीक हो जाता है और प्रायः यह पाया जाता है कि इससे 99 प्रतिशत जान को खतरा नहीं होता है यह करीब 5 से 7 दिन तक रहता है और मरीज ठीक हो जाता है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं-
*(a).* ठण्ड लगने के बाद अचानक तेज बुखार (102°F Above)
*(b).* मांसपेसियों और जोड़ों में तथा बड़े हड्डियों और टेन्डानों में बहुत तीव्र दर्द।
*(c).* पसीना, ठण्डी लगना।
*(d).* आँखों में दर्द जो दबाने से बढ़ता है।
*(e).* कमर में अति तीव्र तथा बहुत ज्यादा कमजोरी लगना।
*(f).* भूख न लगना, कब्ज, स्वाद व महक न पता चलना, जी मचलना, उल्टी होना, दस्त होना।
(g). गले में हल्का दर्द होना।
(h) . शरीर, चेहरे, गर्दन, छाती पर लाल रंग के दाने होना।
*2.डेंगू हेमरेजिक बुखार के लक्ष्ण-*
इसका समय से इलाज न होने से जान को खतरा हो सकता है। इसलिए मरीज को तुरन्त किसी सुविधाजनक अस्पताल में भर्ती करके उसका इलाज करा देना चाहिए। इसके प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं -
(a). तेज बुखार के साथ नाक और मसूड़ों से खून आना।
(b). शौच या उल्टी में खून आना।
(c). त्वचा पर गहरे नीले रंग के छोटे या बड़े दाने पड़ना।
(d). त्वचा के नीचे लाल चकते पड़ना।
(e). नाक, कान, आंख, मुख, गुदा आदि जगहों से रक्तस्राव होना।
(f). प्लेटलेट्स का घटना।
(g). अत्यधिक कमजोरी होना, जी मचलाना, उल्टी होना आदि।
(h). मांसपेशियों एवं जोड़ों में अत्यधिक दर्द का होना।
*3.डेंगू साक सिन्ड्रोम के लक्ष्ण-*
*(a).* इस प्रकार के बुखार में DHF लक्ष्णों के साथ-साथ साक के लक्ष्ण भी दिखाई देते हैं
*(b).* मरीज बहुत बेचैन रहता है और तेज बुखार के बावजूद उसकी त्वचा ठण्डी रहती है।
*(c).* मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है और कभी-कभी बेहोशी की हालत में भी हो जाता है।
*(d).* मरीज की नाड़ी कभी तेज और कभी धीरे चलने लगती है उसका ब्लड प्रेशर एकदम लो हो जाता है।
*डेंगू बुखार होने पर विशेष निर्देश-*
1. रोगी को बिना चिकित्सक की सलाह के दवा को नहीं खाना चाहिए।
2. रोगी का रक्त परीक्षण आवश्यक करवाना चाहिये।
3. रोगी को आराम करायें और सुपाच्य व पौष्टिक विशेषकर दाल एवं अन्य प्रोटीन युक्त आहार चाहिये।
4. मरीज को 102°F व अधिक बुखार होने पर ठण्डे पानी की पट्टी करनी चाहिये।
5. DHF में प्लेटलेट्स कम होने से शरीर अन्य महत्वपूर्ण अंग जैसे फेफड़े, गुर्दे, लीवर हृदय प्रभावित होता है इसलिए मरीज को तुरन्त किसी सुविधायुक्त हॉस्पिटल में भर्ती कराक प्लेटलेट्स चढ़वाना चाहिये।
6. साधारण डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स चढ़ाने के जरूरत नहीं होती बल्कि DHF एवं DSS बहुत जरूरी होती है।
7. डेंगू के मरीज के लिए योग्य होम्येपैथिक चिकित्सक से परामर्श लेकर होम्योपैथिक दवा का सेवन करना चाहिये चूंकि होम्योपैथिक दवा कारगर व फायदेमंद है।
8. प्लेटलेट्स कम होना डेंगू बुखार का ही लक्ष्ण नहीं है बल्कि यह मलेरिया, वायरल बुखार में भी होता है।
9. यदि रोगी के प्लेटलेट्स की संख्या कम हो रही। तो प्लेटलेट्स की जाँच प्रतिदिन करानी चाहिये यदि जरूरत हो तो सुबह शाम में भी करायी ज सकती है।
10. यदि प्लेटलेट्स की संख्या 20 हजार से कम हो जाये तो तुरन्त प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है।
*रोग की पुष्टि के लिए आवश्यक टेस्ट (प्रयोगशाला परीक्षण)-*
हीमोग्लोबिन, टी०एल०सी०, डी०एल०सी, इ०एस०आर० ,सन. एस0-1 (सण्टीजन सीरम-1), डेंगू सीरोलाजी (एण्टीवाडी टेस्ट), व्हाइट ब्लड सेल्स का टोटल काउन्ट।
*डेंगू बुखार से बचाव-*
1. एडीज सजिप्टी मच्छर को पौदा होने से तथा काटने से बचाव करना।
2. घर के अन्दर आस-पास पानी का जमाव न होने देना चाहिये।
3. घर के अन्दर मच्छर मारने की दवा का छिड़काव, खिड़कियों, किचन, बेडरूम, घर में जहां वस्तुएं आदि रखी हो जमीन से 3 फीट की ऊँचाई तक मच्छरों को मारने की दवा का छिड़काव हफ्ते में एक बार अवश्य करना चाहिये।
4. शरीर पर मच्छररोधी दवाओं का प्रयोग करना चाहिये।
5. खिड़की दरवाजों में जाली लगाकर रखें।
6. पूरे शरीर को कपड़े से ढक कर रखें।
7. रात में मच्छरदानी लगाकर सोना चाहिये।
8. कूलर आदि का काम न होने पर पानी न रहने देना चाहिये।
9. रोगी को अपने आप बिना चिकित्सक की सलाह के दवा न दें।
10. डेंगू बुखार के बचाव के लिए होम्योपैथिक दवा इयूपेटोरियम पर्क 200 एवं डेंगूनम 200 और औषधियां होम्योपैथिक चिकित्सक के सलाह पर लेनी चाहिए।
*हौम्योपैथिक उपचार-*
तीनों प्रकार के डेंगू बुखार में हौम्योपैथिक दवाईयां काफी उपयोगी होती हैं। हौम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के अनुसार दवाईयों का चयन किसी योग्य हौम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लेकर रोगी को दी जायें।
हौम्योपैथिक दवाएं विशेषकर एकोनाइट, आर्सेनिक एल्बम, वेलाडोना, ब्रायोनिया, चायना, कार्वोवेज, इंयूपेटोरियल पर्फ, जैससिमियम, दपिकाक, हैमामैलिस, इन्फ्ल्यूनजियम, रस-टाक्स, बैनाडियम इत्यादि दवायें लक्षणानुसार योग्य हौम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह पर देकर रोगी को समय से ठीक किया जा सकता है।
डा. राजेश कुमार चौधरी
(फिजीशियन एण्ड कन्सल्टेंट)
मो- 9454403124
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