बस्ती जिले में डाक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस , सी0एम0ओ0 के लिए बना चुनौती
सरकारी अस्पतालों में मरीजों को नहीं मिल पा रहा इलाज
_जनपद में फल फूल रहा झोला छाप डाक्टरों का कारोबार , मूकदर्शक बने जिम्मेदार_
बस्ती संवाददाता - स्वास्थ्य विभाग में डाक्टरों द्वारा की जा रही लेट लतीफी व हीलाहवाली किसी से छिपी नहीं है । 8 बजे के अस्पताल में डाक्टरों का 11 बजे पहुॅचना व 1 घण्टे ओपीडी करके वापस घर भागना शायद उनकी दिनचर्या हो परन्तु सब कुछ जानकर जिम्मेंदारों का चुप रहना मरीजों के लिए किसी नई मुसीबत से कम नहीं है ।
मिली जानकारी के अनुसार जनपद में डाक्टरों की लेट - लतीफी मरीजो के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है वहीं उल्टे डाक्टर साहबान समय से ड्यूटी पर न पहुॅचकर निजी प्रैक्टिस के जरिए मरीजो की गाढ़ी कमाई चूसने में मस्त हैं । जगह - जगह खुले हुए प्राइवेट अस्पतालों के डाक्टर ज्यादातर किसी न किसी सरकारी अस्पताल में तैनात हैं । शासनादेशों की यदि बात करें तो सरकारी अस्पताल में तैनात कोई भी डाक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकता है परन्तु जिम्मेदारों की मिलीभगत से डाक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस रुक नहीं पा रही है जिसका खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं और सरकारी अस्पताल में रोगियों को समुचित व ससमय इलाज नहीं मिल पा रहा है । जनपद में डाक्टरों की लेट - लतीफी कोई नई नहीं है बल्कि वर्षों से चली आ रही परिपाटी है । तेजतर्रार पूर्व जिला अधिकारी आन्द्रा वामसी ने डाक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने की योजना बनाने के बारे में पहल किया था परन्तु डाक्टरों की यूनिटी के आगे घुटने टेकने पर मजबूर हो गए थे । देखना ये है कि डाक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस जिसे सामाजिक कोढ़ भी कह सकते हैं उसकी रोक पर जिम्मेदार कोई अमल करते हैं या फिर ये परिपाटी यूॅ ही कायम रहेगी और निरीह जनता यूँ ही लुटती रहेगी ।


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