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बस्ती जिले में कौन गटक रहा प्रसव हेतु आयी महिलाओं के पोषाहार का बजट

 बस्ती जिले में कौन गटक रहा प्रसव हेतु आयी महिलाओं के पोषाहार का बजट 


 _स्वास्थ्य केन्द्रों पर भरा जा रहा डाइट रजिस्टर पर डाइट का पता नही_ 


 _स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रसव हेतु भर्ती महिलाओं को मिलने वाले पोषण से जुड़ा मामला_ 


 बस्ती - यूँ तो जनपद का स्वास्थ्य महकमा अपने अजूबे कार्य प्रणाली को लेकर अक्सर चर्चा में बना रहता है । सरकारी अस्पताल में मिलने वाली लगभग सारी सुविधाएं मुफ्त हैं , जाँच आदि का कुछ सरकारी शुल्क निर्धारित है जिसकी जमाकर्ता को रसीद प्राप्त होना चाहिए परन्तु अस्पताल में की जाने वाली धन उगाही किसी से छिपी नहीं है । थोड़े ही समय में डाक्टरों का धन्नासेठ हो जाना सिस्टम में गड़बड़ी का असली परिचायक है ।

 



स्वास्थ्य विभाग के अधीन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों , प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो आदि पर जहाँ प्रसव केन्द्र संचालित हैं वहाँ के भ्रष्टाचार पर भी प्रकाश डालना जरूरी होगा । इन स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रसव हेतु भर्ती महिलाओं के पौष्टिक एवं सुपाच्य पोषण की व्यवस्था शासन द्वारा की गयी है परन्तु बिचौलियों एवं स्वास्थ्य विभाग के जनपदीय मुखिया अर्थात् सीएमओ की मिलीभगत से महिलाओं के पोषण पर डाका डाला जा रहा है जो निश्चित ही चिन्ता एवं जाँच का विषय है । स्वास्थ्य केन्द्रों के हकीकत पर यदि नजर दौड़ाया जाए तो यहाँ पर अधिकांश दवाएं बाहर से ही मंगायी जाती हैं साथ ही साथ कर्मचारियों की उपस्थिति भी भगवान भरोसे रहती है वहीं अगर प्रसव केन्द्रों की बात करें तो प्रसव हेतु भर्ती होने वाली गर्भवती महिलाओं को पोषण के नाम पर कुछ भी नसीब नहीं हो रहा बल्कि जॉच एवं दवा के नाम पर उनका शोषण कर उनकी कमर तोड़ दी जा रही है और बिलौलिओं व स्वास्थ्य विभाग के जनपदीय जिम्मेदार अर्थात् सीएमओ मिलबांट कर पोषण का बजट घोंट रहे हैं। गर्भवती महिलाओं के पोषण पर डाका डालने वाले लोगों पर सीएमओ की चुप्पी कोई नई नहीं है अलबत्ता ये सिस्टम पहले से बना बनाया है और जिम्मेदार अपने हिस्से की मलाई चाटने में मस्त हैं । जिम्मेदारों की चुप्पी इस बात का परिचायक है कि रबड़ी मिल बाँट कर खाई जा रही है जिसके कारण ही जिम्मेंदारों की जुबान खुलने से परहेज कर रही है ।

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